“लिखता हूँ अपनी मर्ज़ी से
बचता हूँ कैंची-दर्ज़ी से
आदत न रही कुछ लिखने की
निंदा-वंदन खुदगर्ज़ी से
कोई छेड़े तो तन जाती
बन जाती है संगीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम”

साहित्य, संस्कृति, समाज और रंगमंच से जुड़ाव रखने वाले देश भर के लोग जानते हैं कि लखनऊ का एक पुरनूर चिराग उनकी दुनिया को कितना रोशन किए हुए है. 21 जून 1931 को लखनऊ में जन्मे मुद्राराक्षस एक उदाहरण हैं कि बहुमुखी क्षमता समपन्न होना किसे कहते हैं. नाट्य लेखन, मंचन, कथा, व्यंग्य, कहानी, उपन्यास, आलोचना, अनुवाद, सम्पादन, पत्रकारिता आदि अनेक विधाओं में काम करना और हर विधा में उत्कृष्ट काम करना मुद्राराक्षस की पहचान है. उन्होने अब तक बीस से ज्यादा नाटकों का सफल निर्देशन, दस से ज्यादा नाटकों का लेखन, बारह उपन्यास, पांच कहानी संग्रह, तीन व्यंग्य संग्रह, इतिहास सम्बन्धी तीन पुस्तकें और आलोचना सम्बन्धी पांच पुस्तकें लिखी हैं. इसके अलावा मुद्राराक्षस ने ज्ञानोदय और अनुब्रत जैसी तमाम प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं का लम्बे समय तक सम्पादन भी किया है. उनकी किताबों का दुनिया के कई देशों में अंग्रेजी समेत दूसरी भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है. 15 सालों से भी ज्यादा समय तक वे आकाशवाणी में एडिटर (स्क्रिप्ट्स) और ड्रामा प्रोडक्शन ट्रेनिंग के मुख्य इंस्ट्रक्टर रहे हैं. साहित्य के अलावा समाज और सियासत से भी उनकी नातेदारी रही है. पीपुल्स पालिटिक्स और प्रगतिशील मूल्यों में यकीन रखने वाले मुद्राराक्षस समय समय पर चुनावी मैदान में भी उतरते रहे हैं साथ ही सामाजिक आंदोलनों से भी जुड़े रहे हैं. अभिव्यक्ति की आज़ादी, साम्प्रदायिकता, जातिवाद, महिला-उत्पीड़न और सरकारी मनमानी आदि मुद्दों पर वे लम्बे समय से लखनऊ की सड़कों पर उतरते रहे हैं और ये सिलसिला उम्र के अस्सी पार जाने पर भी जारी है. लखनऊ वाले गर्व करते हैं कि मुद्राराक्षस उनके शहर के हैं. साहित्य-संस्कृति की दुनिया में मुद्राराक्षस का नाम बड़े अदब और अहतराम के साथ लिया जाता है. उन्हे साहित्य नाटक अकादमी, साहित्य भूषण, दलित रत्न और जन सम्मान जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

लखनऊ सोसाइटी के संस्थापक को कुछ दिनों पहले मुद्राराक्षस से मिलने का सम्मान मिला. इस मौके पर मुद्राराक्षस ने लखनऊ सोसाइटी की तरफ से लखनऊ को लेकर किए जा रहे प्रयासों की तारीफ की और अपना वरद मार्गदर्शन देने को भी कहा. निश्चित तौर पर उनकी हौसला-अफज़ाई हमारे बहुत काम आएगी. मुद्राराक्षस जी को सलाम !